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Hindi Story / मां, तुम लौट आओ ना

Hindi Story / मां, तुम लौट आओ ना 

वो कहते हैं ना मां है तो हर खुशियां है, लेकिन कभी कभी ये बात बहुत देर से समझ आती है । लेकिन जब समझ आती है तब तक बहुत देर हो जाती है। फिर रोने के सिवा कुछ और नहीं बचता । ऐसा कुछ ही इस Hindi Story / मां, तुम लौट आओ ना, में होता । जब आप इस कहानी को पढ़ोगे तो मां की ममता और अपनी आंखों में आंसू देखोगे। चलो कहानी को पूरा पढ़ते है.... 

Hindi Story / मां, तुम लौट आओ ना


Hindi Kahani - मां, तुम लौट आओ ना 

राजीव अपनी मां से बहुत प्यार करता था। मां ही राजीव की दुनिया थी। मां ने राजीव को बचपन से बड़े होने तक हर मुश्किलों और परेशानियों में संभाला था । उसकी हर एक चीज का ख़्याल रखा। अब राजीव बड़ा हुआ और स्कूल जाने लगा। अब जब भी राजीव स्कूल से घर आता तो उसकी मां दरवाजे पर खड़ी मिलती । वो राजीव के आने का इंतज़ार करती । राजीव के घर आते ही मां उसकी थकान उतारने के लिए बड़े प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरती और कहती - " बेटा, तू स्कूल से आया है थक गया होगा , आ पहले खाना खा ले। " राजीव भी ख़ुशी ख़ुशी मां की बात मानता और आदर- भाव करता। सुबह स्कूल जाता तो मां के पैर छू के जाता, बाहर कहीं जाना होता तो भी वह मां से पूछकर ही जाता था।

धीरे धीरे समय बीतता गया। राजीव ने अपनी पढ़ाई पूरी की । और नौकरी की तैयारी करने लगा। मां ने भी राजीव की एक एक चीज का ध्यान रखा,खाना खिलाना, थकान के समय सिर दबाना। कुछ महीनों बाद राजीव की नौकरी लगी और कुछ समय बाद उसकी शादी भी हो गई। अब राजीव पहले जैसा नहीं रहा बहुत बदल चुका था , उसकी अपनी एक अलग दुनियां बन गई, वो उसी में व्यस्त रहने लगा। अब राजीव अपनी मां का पहले जैसा ख़्याल नहीं रखता और मां धीरे धीरे अकेली पड़ती गई , लेकिन मां तो मां होती है ,तो मां ने राजीव से कभी शिकायत नहीं की। 
वह अब भी सुबह जल्दी उठती, राजीव के लिए नाश्ता बनाती। लेकिन राजीव अब अपनी दुनिया में व्यस्त था , राजीव को अब अपने ऑफिस जाने की जल्दी होती और जब मां नाश्ता करने के लिए बोलती तो वो कहता - मां, बाद में खा लूंगा, अभी लेट हो रहा हूं। 
मां मुस्करा कर कहती - " ठीक है बेटा, कुछ खा लेना और अपना ख्याल रखना। " 

Sad Story In Hindi 


समय बीतता गया। राजीव अब अपनी दुनिया में इतना व्यस्त हो गया कि अपनी मां से बात करना कम कर दिया। अब तो वह अपने दोस्तों के साथ बाहर खाना खाने जाने लगा , अपनी पत्नी के साथ रहने और घूमने लगा। मां को अपना समय देना भूल गया, जो कभी उसकी दुनियां हुआ करती थी। मां की भी अब उम्र डलने लगी और वह बीमार रहने लगी, पर वह अब भी अपने बेटे को परेशान करना ठीक नहीं समझा या ये कहूं उसने राजीव को परेशान नहीं किया । 
एक दिन राजीव अपने ऑफिस चला गया और अचानक मां की तबियत बहुत ज़्यादा बिगड़ने लगी। राजीव की पत्नी भी अपने मायके गई हुई थी , घर पर कोई था नहीं तो मां ने अपने कांपते हाथों से राजीव को फोन लगाया, लेकिन राजीव ऑफिस के काम में व्यस्त था उसने फोन नहीं उठाया। मां ने थोड़ी देर बाद फिर से कोशिश की , लेकिन राजीव ने इस बार भी फोन नहीं उठाया। मां अपने बिस्तर पर पड़ी रही और आंखों में आंसू लिए.... शायद वह आखिरी बार राजीव से मिलना या उसे देखना चाहती थी। 
शाम हुई राजीव अपने ऑफिस से घर पहुंचा तो देखा दरवाज़ा बंद पड़ा है। उसने दरवाज़ा खोला और अंदर जाकर देखा तो मां बिस्तर पर लेती थी। राजीव ने आवाज़ लगाई , लेकिन मां अब उठने वाली नहीं थी वो स्वर्ग की यात्रा पर निकल चुकी थी। उसके हाथ में वही पुराना मोबाइल था , जिसमें आखिरी कॉल राजीव को किया गया था... 
ये सब देख राजीव फूट फूट कर रोने लगा , ज़ोर ज़ोर से मां को पुकारने लगा। उसे अहसास हुआ कि उसने मां को कितना अनदेखा कर दिया था । उसकी आंखों में बस वही पुरानी अपनी मां की बातें गूंज रही थीं - " बेटा, तू थक गया होगा, आ पहले खाना खा ले।" 
राजीव रो रहा और साथ में सोचता रहा कि अब मां कभी उसे दरवाजे पर खड़ी नहीं मिलेगी, अब कोई उसे प्यार से सिर पर हाथ नहीं फेरेगा... 
मां मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गई । 
मां , तुम लौट आओ ना....बस मां एक बार... मां, तुम लौट आओ ना.... राजीव चिल्ला रहा था और रो रहा था, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। 


मां, मां होती है , मां के बिना कुछ नहीं है ।
अपनी मां को मरते दम तक प्यार करते रहना ।


क्या आप भी अपनी मां से बहुत प्यार करते हैं कॉमेंट में बताओ।



इनको पढ़ना मत भूलना - 



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