Sad Story In Hindi/अधूरी मोहब्बत
आज की ये Sad Story In Hindi / अधूरी मोहब्बत कहानी को पढ़ोगे तो पक्का आप सोचने पर मजबूर हो जाओगे कि ऐसा क्यूं होता है मोहब्बत में। क्यूं मोहब्बत मुकम्मल नहीं होती, क्यूं ये दुनियां मोहब्बत करने वालों को अलग कर देती हैं। चलो आओ पढ़ते हैं आखिर क्या हुआ था इस कहानी में जो अधूरी रह गई...
कहानी: Sad Story In Hindi/ अधूरी मोहब्बत :-
मेरे बगल के गांव में एक कोने के छोटे से घर में एक लड़का रहता था राजेश नाम का, सीधा साधा और साधारण स्वभाव का । मेरा अच्छा दोस्त था , उसे पढ़ाई का बहुत शौंक था लेकिन अपने घर के हालात और ग़रीबी के कारण उसको मजबूरन अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी और गांव में ही छोटी मोटी मज़दूरी करने लगा। उसी गांव में एक बड़े अमीर जमींदार का घर था, जिनके खेत में अक्सर वो लड़का यानि राजेश मज़दूरी करने जाया करता था , उस अमीर जमींदार के घर में उस जमींदार की बेटी शुभांगी भी रहती थी। सुंदर, गोरा बदन और पढ़ी लिखी और बहुत समझदार थी।
राजेश और शुभांगी की मुलाकात बचपन से हुई थी क्योंकि दोनों एक ही गाँव से थे । धीरे धीरे दोनों के बीच एक गहरी दोस्ती हो गई, और ये दोस्ती कुछ महीनों बाद प्यार में बदल गई। दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे।लेकिन राजेश यह जानता था कि उन दोनों की मोहब्बत कभी मुकम्मल नहीं हो सकती क्योंकि ये समाज दोनों को कभी एक नहीं होने देगा और शुभांगी एक अमीर परिवार से है तो उनकी अमीरी के आगे मेरी गरीबी कुछ भी नहीं थी।
समय बीतता गया एक दिन शुभांगी के पिता को उन दोनों के बारे में पता चला । शुभांगी के पिता ने दोनों को भुलाया और डांटा । गुस्से में शुभांगी को शहर भेज दिया अपने रिश्तेदार के यहां। साथ में राजेश को डराया और धमकी दी कि वह शुभांगी से कभी नहीं मिलेगा , नहीं इसका अंज़ाम बहुत बुरा होगा। अब शुभांगी भी मजबूरी थी , लेकिन उसने राजेश से वादा किया कि मैं लौटकर जरूर आऊंगी इंतजार करना।
समय बीता राजेश ने अपनी मेहनत से खुद को काबिल बनाया । और शुभांगी का इंतज़ार भी कर रहा था। काफ़ी समय बीता गया लेकिन शुभांगी की कोई ख़बर नहीं आई। एक दिन राजेश शुभांगी को खोजने उनके रिश्तेदार के शहर गया तो उसको खबर मिली कि शुभांगी की तो शादी हो चुकी है। यह सुनकर राजेश का दिल टूट गया और एकदम शौक में पड़ गया। वह वापिस गांव लौट आया लेकिन राजेश अब पहले जैसा नहीं रहा । हंसते खेलते चेहरे की जगह अब उदास, गुमसुम और आंखों में अब भी उसका इंतज़ार और दर्द था।
मैंने लोगों के मुंह से सुना था कि अब वह ( राजेश ) रोज़ शाम को उसी पुराने पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शुभांगी के आने का इंतज़ार करता था , जहां अक्सर वो दोनों पहले मिला करते थे।
उसका इंतज़ार करते करते समय बीतता गया लेकिन वो कभी लौट के नहीं आई और एक दिन , बारिश के मौसम में राजेश उसी पीपल के पेड़ के नीचे ठंड से कांपते हुए बैठा रहा और फिर वो कभी नहीं उठा.....
जब लोगों ने उसको देखा , तो राजेश की आँखें बंद थी लेकिन चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान थी मानो वह अपनी मोहब्बत यानि शुभांगी से सपनों में मिल चुका था.....
कुछ मोहब्बते अधूरी ही रह जाती है कभी मुक्कमल नहीं होती, लेकिन उनका अहसास जिंदगी भर रहता है ।
मैं जब भी राजेश की कहानी पढ़ता हूं तो सोचता हूं क्या मोहब्बत करना गलत है, क्यूं एक इंसान दूसरे इंसान को तन्हा छोड़ जाता है... ऐसी क्या मजबूरी रही होगी जो शुभांगी की जो वापिस लौट के नहीं आई, या उसको राजेश से मोहब्बत ही नहीं थी...?
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1 टिप्पणियाँ
Nice Story
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