Premanand Ji Maharaj / Premanand Ji Maharaj Satsang
प्रेमानंद जी महाराज जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम। हैलो दोस्तों आज जो मैंने ये आर्टिकल लिखा है ये हम सबके प्रिय श्री Premanand Ji Maharaj की सत्संग के एक ऐसे अविस्मरणीय क्षण के ऊपर है जिसे सुनकर सभी श्रद्धालु और श्रोताओं का हृदय भाव - विभोर, भक्तिमय हो गया था । जब आप भी इस अविस्मरणीय क्षण को पढ़ेंगे तो आपका हृदय भी भक्तिमय और ये क्षण आपके हृदय को छू लेगा। सच्चे भाव और मन से किया गया कार्य भगवान तक जरूर पहुंचता है चलो विस्तार से पढ़ते हैं.....
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Premanand Ji Maharaj / Premanand Ji Maharaj Satsang |
Premanand Ji Maharaj का दिव्य सत्संग: एक अविस्मरणीय क्षण -
सबसे पहले प्रेमानंद जी महाराज जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
आज के इस कलयुगी समय में जब भी प्रेमानंद जी महाराज के सत्संगो को सुनते है तो भक्तों को एक आध्यात्मिक शांति और आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है। सब लोग उनको मानते है उनकी बातों को बड़े ध्यान से सुनते और उनके बताए मार्ग पर चलते है। प्रेमानंद जी महाराज सभी को आध्यात्मिक जीवन और भक्ति करने का संदेश देते हैं।
ऐसा ही एक विशेष अवसर था जब एक दिन प्रेमानंद जी महाराज का सत्संग चल रहा था और सभी भक्त उनके दिव्य वचनों को को सुनने के लिए आतुर थे। और बड़े ध्यान और एकाग्रता के साथ खड़े थे।
जैसे ही प्रेमानंद जी महाराज ने अपना प्रवचन प्रारंभ किया पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। सभी श्रद्धालु भक्ति के भाव में डूब गए। महाराज अपने प्रवचन में कहते हैं, " सच्ची भक्ति वह जो हमें परमात्मा से जोड़ दे । प्रेम और सच्ची श्रद्धा से किया गया हर कार्य भगवान तक पहुंचता है। " उनकी इस मधुर वाणी को सुनकर सभी श्रद्धालु, श्रोता भाव - विभोर हो गए। इसी दौरान सत्संग सुन रहे, एक वृद्ध भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से प्रश्न किया....
महाराज आप कह रहे हैं कि सच्ची श्रद्धा और प्रेम से किया गया कार्य भगवान तक पहुंचता है तो " क्या भगवान वास्तव में हमारी प्रार्थना सुनते हैं? " तो इस पर महाराज ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, " कि भगवान तो हमारे हृदय में ही हैं, यदि प्रार्थना सच्चे भाव से की जाए,तो उत्तर अवश्य मिलता है। "
जब ये उत्तर बोला तो उसी क्षण पूरे वातावरण में एक अद्भुत शांति छा गई। सत्संग में आए सभी भक्तों की आंखों में भक्ति भाव के आंसू थे । और यह एक ऐसा अविस्मरणीय क्षण था, जब प्रेमानंद जी महाराज ने दिव्य वचनों से सभी भक्तों के हृदय को छू लिया और उन सभी को प्रभु - भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
प्रेमानंद जी महाराज को आज हर कोई पसंद करता है उनके बताए मार्ग पर चलते हैं।
निष्कर्ष -
हमें अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से जीना चाहिए और सच्चे मन और भाव के साथ भक्ति करनी चाहिए। प्रेमानंद जी महाराज एक ही बात बोलते है भगवान ही सच है इस सांसारिक मोह माया से नहीं भगवान की भक्ति करने से जीवन मुक्ति मिलेगी।
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एक बार फिर प्रेमानंद जी महाराज के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम। अगर आप भी ये आर्टिकल पढ़ रहें हैं तो कॉमेंट में राधे राधे ज़रूर लिखना।
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