Moral Story In Hindi / हां मैं सांड हूँ
आज की Moral Story In Hindi / हां मैं सांड हूँ जो ये कहानी है वो पका आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। कि आज हम सब अपने स्वार्थ, मतलब के लिए कितने जीवों , जानवरों और प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया है, इनको नुकसान पहुंचाया हैं। जैसे जैसे हम हम इस टेक्नोलॉजी, यंत्र और आधुनिकता के आदि होते जा रहे है वैसे वैसे हम इस प्रकृति के संतुलन को ख़राब कर रहें हैं।
ये कहानी एक सांड की है यानि बैल की है जो सदियों से हमारे साथ रह रहे है और हर काम में हमारी मदद करते हैं अब चाहे खेत जोतना हो, पानी के कुएं से पानी निकालना हो, एक दूसरे शहर में समान पहुंचाना हो , मतलब ये बैल हमारी हर तरह से मदद करते थे । लेकिन जैसे ही हमने आधुनिकता को अपनाया , टेक्नोलॉजी यंत्र जैसे गाड़ी, ट्रैक्टर, मोटर पंप को काम में लेना शुरू किया। उसके बाद बेचारे इन बेजुबान जानवरो को बाहर आवारा छोड़ दिया ना खाना पानी, ना रहने को जगह। और आज हम इनको फालतू, अराजकता फैलाने वाले, फसलों को बर्बाद करने वाले कह देते है ।
कहानी के अनुसार.... बैल अपनी पीड़ा बता रहा है तो आइए पढ़ते हैं आगे...
हां मैं सांड हूं :-
आज के लोग कहते हैं मैं तुम्हारी सड़कों पर कब्ज़ा कर रहा हूं, तुम्हारे रास्तों में चलते वाहनों की रुकावट बन रहा हूं। मैं तुम्हारी फसलों को उजाड़ , बर्बाद कर रहा हूं। तो मैं आज के इन लोगों से पूछता हूं कि मैं कितने समय में तुम्हारे लिए अवारा हो गया, इतना अराजक हो गया हूं। मैं तो सदियों से तुम्हारे पूर्वजों, हजारों पीढ़ियों की सेवा करता आया हूं, उनके हर काम में काम आया हूं तो आज मैं आप सब लोगों का दुश्मन कैसे बन गया ??
अभी कुछ सालों पहले तो सब लोग मुझे पालते थे , खाने को चारा देते, रहने को जगह देते थे। लेकिन वही लोग आज इतने समझदार, सभ्य हो गए ट्रैक्टर ले आए, मोटर पंप से पानी निकालने लगे और मुझे बाहर खुला छोड़ दिया । अब बताओ मैं कहां जाता ??
कहां चरता ??
आज के स्वार्थी लोगों ने चरागाहों पर कब्ज़ा कर लिया चारों तरफ़ बड़ी बड़ी कंटीली बाड़ लगा ली, अब खाने को चारा नहीं, रहने को जगह नहीं आंधी, तूफान, बरसात में इधर उधर भटकते रहते हैं और पापी पेट का सवाल है तो अपने पेट भरण के लिए लोगो से संघर्ष शुरू हो गया। और हां कुछ स्वार्थी, मतलबी लोगों ने तो अपना पेट भरने के लिए मुझे काटना भी शुरू कर दिया , लेकिन मैं फिर भी ये सोच कर चुप रहा कि चलो किसी काम तो आया तुम्हारे ।
मेरी मां गाय ने मेरे हिस्से का दूध देकर आपको और आपके बच्चों, परिवार को पाला । और अब तुम इतने स्वार्थी हो गए जो उसको भी बाहर खुला छोड़ दिया , बेघर कर दिया। और अभी पीछे कुछ सालों से कई मेरे से प्यार करने वाले लोगो ने या ये कहूं मेरे मित्र लोगों ने मुझे कटने से बचाने के लिए अभियान चलाया। लेकिन जब मैंने पेट भरने के लिए गलती से उनके खेत मे चला गया और फसल खा गया तो वही मित्र लोग मुझे बर्बादी का कारण मानने लग गए। और शायद अब तो वो भी ये ही सोचते होंगे कि ये काट दिया जाता तो ही अच्छा होता ।
मैं तो आप सब लोगों से इतना ही निवेदन कहना चाहता हूं कि मैं आपकी जीवनभर सेवा करुगा, आपके काम में काम आऊंगा, आपके घर के गेट के सामने बंधा रहूंगा। थोड़े से चारा - पानी के बदले तुम्हारे खेत जोत दूंगा, तुम्हारे लिए कुएं से , रहट से पानी निकाल कर दूंगा, एक दूसरे से गाड़ी से सामान ढो दूंगा आपके हर काम में मदद करूंगा चाहें धूप हो , बरसात हो, मैं आप सब की तरह स्वार्थी नहीं बनूगा। बस आप मुझे और मेरी मां गाय को अपना लो। ये भी पढ़े:- मालिषा खारवा की कहानी
लेकिन क्या आप लोगों पर मेरे इस निवेदन/ विनती का कोई असर होगा...??
अरे आप सब लोग तो अपने स्वार्थ के लिए अपने बूढ़े लाचार मां बाप को घर से बाहर निकाल देते हो तो फिर मेरी क्या औकात...???
Moral / सिख :- दोस्तों ये सच कि हम सब अपने स्वार्थ के लिए इन बेजुबान जानवरो, प्रकृति को बहुत नुकसान पंहुचाया है । लेकिन इस कहानी से हमें ये ही सिख मिलती है कि अपने मतलब या स्वार्थ के लिए किसी के साथ कुछ भी गलत मत करो, जो आपकी सेवा करता है, आपके काम आता है तो आपका भी हक बनता है कि आप भी उसका साथ दो। भले ही आप आज के समय के अनुसार जियो लेकिन जो हमारे साथ सदियों से है उनको भी मत ठुकराओ।
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