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Poetry In Hindi/ हिंदी कविता

 Poetry In Hindi/ हिंदी कविता

हैलो दोस्तों jazbaatword.com आप सभी के लिए लेकर आया बेस्ट 5 कविताएं। जो आपके दिल को छू जायेगी। इन कविताओं को आप अपने चाहने वालों,जिस से प्यार करते हो, उनके साथ शेयर कर सकते हैं। ये कविताएं आपको एक अलग ही अहसास दिलाएगी। 

Poetry In Hindi/ हिंदी कविता


आसान हिंदी भाषा और हर एक लाइन कुछ न कुछ बयां कर रही होगी। तेरे इश्क़ का रंग, मेरी किताब, मेरे जज़्बात, मेरा दिल, मैं क्या करूं इन सब कविताओं में कोई न कोई बात छुपी है कोई न कोई जिंदगी की असली कहानी , किसी के जज़्बात जो कह ना पाया हो, सब मिलेंगे।

तो आइए पढ़ते है इन कविताओं को...

तेरे इश्क़ का रंग 

तेरे इश्क़ का रंग

मिले जो तुम तो, हम मुस्कराने लगे थे ,

पाकर तुम्हें हम, थोड़ा गुनगुनाने लगे थे।


बेनूर,बैरंग था ज़िंदगी का कैनवास,

तेरे इश्क़ के रंगों से उन्हें, हम भरने लगे थे।।


तेरी आंखों में भी चाहत का रंग देखकर ,

हम तेरे लिए, थोड़ा सजने - संवरने लगे थे ।


कितने पागल, कितने नादान थे, तब हम,

जो तेरे साये से भी , ढेरों बातें करने लगे थे ।।


आखिर क्यूं मरने लगे हो तुम, उस पर इतना,

आईना भी तब, हम से ये सवाल करने लगे थे।



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एक क़िताब


एक क़िताब

मेरे पर किताब लिखना

मेरी जिंदगी पर, तुम एक किताब लिखना,
मेरे गुजरने के बाद, तुम मुझे महताब लिखना।

गवाह बनाना खुद को , उस हर एक सितम का,
और सारे दर्द ओ गम का,तुम हिसाब लिखना ।

ये भी लिखना कि मेरी नादानियां ही मुझे ले बैठी,
मेरी मासूमियत का,तुम सही सही जवाब लिखना।

मेरी जिंदगी तो, महज चंद लम्हों की दास्तां थी,
उस पर हुए क्या क्या सितम, तुम बेहिसाब लिखना।

अंत में , मेरी दास्तां ए उल्फत को, हंसी चांदनी,
और खुद को दिल जलाने वाला आफताब लिखना।।


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मेरा दिल

मेरा दिल


है तेरी यादों के सहारे दिल,
हर पल पुकारे तुम्हें दिल।

बस प्यार तुम्हीं से करता है,
ये जान तुम्हीं पे वारे दिल।।

अब तुमको देखे बिना भला,
तन्हा कैसे रात गुजारे दिल।

बस तेरी चाहत है दिल को,
ना चाहे चांद सितारे दिल।।

है इंतजार तुम्हारा अरसे से,
मर जाए बिन तुम्हारे ये दिल ।


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मैं क्या करूं

मैं क्या करूं


ना शिकवा करूं, ना गिला करूं,

जो खुद हो सजा, उसे बता क्या करूं।


जो बात करने से भी कतराए ,

उस से हो के खफा , मैं क्या करूं।।


मेरे दर्द से जिसे तकलीफ़ ना हो,

सामने उसके गिड़गिड़ा के, मैं क्या करूं ।


देखकर भी जो अनदेखा कर दे,

उससे फरियाद करके भी मैं क्या करूं।।


टूट चुकी हो , जिस दरख़्त से डाली,

फिर से उसे जोड़ के, मैं क्या करूं।



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मेरे जज़्बात


मेरे जज़्बात

तुम तो वाकिफ मेरे, हर हालात से हो,
फिर भी तुम खफ़ा, किस बात से हो।

और क्या बताऊं तुम्हें, बेकशी अपनी ,
तुम तो जुड़े मेरे, हर खयालात से हो।।

मेरी सुबह ओ शाम में, बस तेरे ही चर्चे ,
तुम तो मुकाबिल, मेरे हर लम्हात से हो।

मत तोड़ो वो आईना , जिसमें देखा है तुझे,
तुम तो मेरे दिन की, हर शुरुआत से हो ।।

तेरी वफ़ा की खुशबू , मेरी रूह तक है,
तुम तो शामिल मेरे हर जज़्बात से हो ।


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आशा करता हूं आपको ये कविताएं बहुत पसंद आई होगी । ऐसे ही अच्छे अच्छे आर्टिकल, कहानियां, शायरियों, गजलों के लिए jazbaatiword.com को फ़ॉलो कर सकते हैं।
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