मेरे पर किताब लिखना
मेरी जिंदगी पर, तुम एक किताब लिखना,
मेरे गुजरने के बाद, तुम मुझे महताब लिखना।
गवाह बनाना खुद को , उस हर एक सितम का,
और सारे दर्द ओ गम का,तुम हिसाब लिखना ।
ये भी लिखना कि मेरी नादानियां ही मुझे ले बैठी,
मेरी मासूमियत का,तुम सही सही जवाब लिखना।
मेरी जिंदगी तो, महज चंद लम्हों की दास्तां थी,
उस पर हुए क्या क्या सितम, तुम बेहिसाब लिखना।
अंत में , मेरी दास्तां ए उल्फत को, हंसी चांदनी,
और खुद को दिल जलाने वाला आफताब लिखना।।
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मेरा दिल
है तेरी यादों के सहारे दिल,
हर पल पुकारे तुम्हें दिल।
बस प्यार तुम्हीं से करता है,
ये जान तुम्हीं पे वारे दिल।।
अब तुमको देखे बिना भला,
तन्हा कैसे रात गुजारे दिल।
बस तेरी चाहत है दिल को,
ना चाहे चांद सितारे दिल।।
है इंतजार तुम्हारा अरसे से,
मर जाए बिन तुम्हारे ये दिल ।
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मैं क्या करूं
ना शिकवा करूं, ना गिला करूं,
जो खुद हो सजा, उसे बता क्या करूं।
जो बात करने से भी कतराए ,
उस से हो के खफा , मैं क्या करूं।।
मेरे दर्द से जिसे तकलीफ़ ना हो,
सामने उसके गिड़गिड़ा के, मैं क्या करूं ।
देखकर भी जो अनदेखा कर दे,
उससे फरियाद करके भी मैं क्या करूं।।
टूट चुकी हो , जिस दरख़्त से डाली,
फिर से उसे जोड़ के, मैं क्या करूं।
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मेरे जज़्बात
तुम तो वाकिफ मेरे, हर हालात से हो,
फिर भी तुम खफ़ा, किस बात से हो।
और क्या बताऊं तुम्हें, बेकशी अपनी ,
तुम तो जुड़े मेरे, हर खयालात से हो।।
मेरी सुबह ओ शाम में, बस तेरे ही चर्चे ,
तुम तो मुकाबिल, मेरे हर लम्हात से हो।
मत तोड़ो वो आईना , जिसमें देखा है तुझे,
तुम तो मेरे दिन की, हर शुरुआत से हो ।।
तेरी वफ़ा की खुशबू , मेरी रूह तक है,
तुम तो शामिल मेरे हर जज़्बात से हो ।
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