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हिंदी कहानी:- एक कप चाय और वो / Ek Cup Chaye Or Wo

 हिंदी कहानी:- एक कप चाय और वो

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हैलो दोस्तो नमस्कार, उम्मीद करता हूं आप सभी अच्छे होंगे, स्वागत है आपका इस 'एक कप चाय और वो' कहानी पर।

jazbaatiword.com फिर से एक न्यू और सच्ची कहानी लेकर आया है। 

' एक कप चाय और वो '  ये कहानी नहीं है बल्कि किसी ने अपने यादगार पलों को शब्दों में पिरोया है।


कहानी :- एक कप चाय और वो


कहानी शुरू करने से पहले थोड़ी सी बात कर लूं आप से , देखो आप सोच रहे होंगे कि एक कप चाय कौनसी स्पैशल है,एक कप चाय तो कहीं भी पी सकते है होटल, चाय टपरी, घर आदि।

तो आपको बता दूं माना एक कप चाय कही भी पी जा सकती हैं। लेकिन ये एक कप चाय बहुत स्पैशल है।  इस एक कप चाय को पीने के लिए मुझे लगभग दो तीन साल लग गए। आप यकीन नही कर रहें होंगे पर ये सच्च है चलो बताता हूं कैसे....


कहानी :- एक कप चाय और वो



मैं आज से 2/3 साल पहले दिल्ली आया था काम की तलाश में तो यहां किराए पर रहने लगा, और थोड़े दिनों बाद मेरी एक प्राइवेट कंपनी में जॉब लगी। तो ड्यूटी जाता और रूम पर आ जाता ना किसी से कुछ बोलना ना किसी से कुछ कहना, बस रूम से ऑफिस और ऑफिस से रूम। इतना ही रूटीन था मेरा रोज़ का । साथ में 2/3 रूम पार्टनर भी थे , जहां मैं रहता था उसी कॉलोनी में मेरे बगल वाले रूम में 3 लड़कियां और उनका एक भाई भी रहते थे। धीरे धीरे मेरे रूम पार्टनर की उनसे जान पहचान होने लगी, खाली टाइम में बैठकर आपस में बाते भी कर लेते थे।

लेकिन मेरा वही रूटीन था , मैं उन से अभी भी नही बोलता था , लेकिन उनको देखा करता था । तीनों बहनों में एक लड़की थी शायद उन सब में बड़ी थी वो धर्म को बहुत मानती थी , उसका भी मेरे जैसा स्वभाव था ना किसी से कुछ ज्यादा बोलना ना किसी से कुछ कहना।

लेकिन धीरे धीरे होली, ईद, जन्मदिन आदि मौके पर एक दूसरे के साथ सेलिब्रेट करते और एक दूसरे से खाना वगैरा या स्पैशल मिठाई वगैरा एक दूसरे से शेयर कर लेते।

मुझे याद मैं ड्यूटी से आकर सो रहा था उन्होंने ( बगल वाली लड़की ) ने हम सब के कड़ी बड़ा भेजा और कुछ दिन बाद जिस लड़की की मैने ऊपर बात की जो धर्म को मानती हैं उसका जन्मदिन था ,तो उन्होंने हम सब को भुलाया लेकिन मैं तो ड्यूटी चला गया था ,तो मेरा एक दोस्त गया उनके जन्मदिन सेलिब्रेशन में। उस दिन उन्होंने हम सब के लिए केक भेजा। हम भी कभी कभी उनके साथ खाने की चीज़े या जरूरत का सामान शेयर कर लेते थे  ।

ऐसे करते करते उनके साथ अच्छे से गुल मिल गए। एक दूसरे के नंबर, इंस्टाग्राम अकाउंट आदि एक दूसरे से शेयर कर लिए ।लेकिन मैं बहुत कम मतलब बहुत कम ही उसने बोलता या मिलता बस अपने काम से काम रखता था।

उनके साथ हम लगभग एक डेढ़ साल रहे लेकिन मैने कभी उनसे दोस्ती या चाय वाय पीला दो या उनके रूम पर नहीं गया । फिर हमने कॉलोनी बदल दी और लगभग 10/11 महीने मेरी उन से कभी मुलाकात या बात नहीं हुई। क्योंकि ना मेरे पास उनके नंबर थे ना ही कोई इंस्टाग्राम अकाउंट था ।

खैर फिर मैं घर चला गया।


                      लगभग डेढ़ साल बाद.....


एक दिन मैं घर पर बैठा ऑनलाइन काम के सिलसिले में इंस्टाग्राम पर लोगों को मैसेज कर रहा था, तभी एक आईडी मेरे सामने आई , तो मैने नॉर्मली लोगों की तरह उस आईडी पर मैसेज किया। 

हैलो डियर कैसे हो,

क्या आप ऑनलाइन वर्क करना चाहते हो ?

तो सामने से जवाब आता है हाय कैसे हो, याद भी नहीं करते।

ये जवाब सुनकर मैं हैरान हो गया,जैसे ये कोई खास इंसान है और मुझे याद नहीं है,फिर मैने सोचा कोई मजाक कर रहा है।

मैने बोला डियर क्या आप मुझे जानते,क्या आप से मेरी पहले भी बात हुई है क्या ? 

तो सामने से जवाब आया हां जी बहुत अच्छी तरह से जानती हूं, और हम मिले भी हैं।

फिर मैं हैरान था कि आखिर कौन है ये इंसान फिर मैने बोला हो सकता है किसी इवेंट में हम मिले हो ?

फिर जवाब आता है नहीं,

मैं थोड़ा सोच में डूब गया आखिर कौन है ये, ना प्रोफाइल फोटो थी,ना ऐसी कोई खास जानकारी जिस से में पहचान सकू कि आखिर ये शख्स कौन है, बस नाम था वो मेरे ध्यान में नहीं आया।

खैर लगभग दो दिन बात करने के बाद उस इंसान ने अपनी फ़ोटो भेजी, और मैं शौक हो गया ये वो ही लड़की थी जो आज से डेढ़/दो साल पहले दिल्ली में मेरे बगल वाले रूम में रहती थी।

फिर मैने उसको sorry बोला, हाल चाल पूछा , कहां रह रहे हो, क्या कर रहे ये सब पूछा तो बोली में वहीं रह रही हूं जहां पहले रह रही थी।

मैने बोला ओह, सही है। फिर हमारी नॉर्मल बातें होती रही। मोबाइल नंबर भी एक दूसरे ने शेयर कर लिए और हम एक अच्छे दोस्त बन गए।

मेरी छुट्टियां खत्म हुई और मैं वापिस दिल्ली आ गया ड्यूटी पर। फिर एक दिन हम दोनो रात में लगभग 12:00/1:00 बजे चैट में बात कर रहे थे बस मज़ाक मस्ती में क्योंकि उस दिन मेरी छुट्टी थी। 

तभी उसने पूछा क्या कर रहे हो ,

मज़ाक मस्ती चल रही थी तो मैने भी बोल दिया , इतनी कड़ाके की ठंड में बैठा हूं अकेला काश कोई होती और बोलती सुनो ठंड पड़ रही है चाय बना लूं क्या...


उसने भी मज़ाक में बोला आ जाओ मैं पीला देती चाय की क्या बात है, और दोस्तों मैं सच्ची में बिना सोचे समझे क्या होगा कैसे होगा पता नहीं बस रात के 3/4 बजे  मैं उसके रूम पर चला गया लगभग 10 मिनट में उसके रूम पर पहुंच गया । दिल की धड़कने तेज हो रही थी, डर भी लग रहा था क्या होगा अब  , उसने गेट खोला और मैं रूम के अंदर आ गया ।

ज्यादा डर मुझे तब लगा जब उसने बोला मैं रूम पर अकेली हूं, दोनों बहनें गांव गई हुई है ।

फिर मैने थोड़ा नरवस महसूस सा महसूस करा क्योंकि ये मेरा 2/3 साल में पहली बार उसके रूम जाना हुआ था।

मैं बेड पर बैठा ठंड लग रही थी तो उसने मुझे कंबल दिया और वो भी थोड़ी शर्माती हुई मेरे सामने बैठ गई ।

हम दोनो लगभग 15/20 मिनट बात करते रहे एक दूसरे का हाल चाल पूछा इधर उधर की बाते करी।

तब उसने बोला चाय बनाए फिर ...

मैं थोड़ा सा हँसा और कहा क्यों नहीं जरूर इतनी ठंड में चाय ही तो है,,,,, वो थोड़ी सी प्यार भरी स्माइल करी और चाय बनाने के लिए बेड से उतरी तब मैने थोड़ा आदर भाव से बोला कि छोड़ो रहने दो मत करो इतनी तकलीफ मैं मजाक कर रहा था।

तब बोली नही नही अब पीनी ही पड़ेगी ,जब इतने प्यार से बोला तो मैं मना नहीं कर पाया और बोला ठीक बनाओ कड़क और ताजा एक कप चाय।


                           लेकिन ये क्या.....


जब चाय बनाने लगे तो देखा तो पतीला रात का धोने वाला पड़ा है,अब इतनी ठंड में और ठंडे पानी से कौन धोए।

तो उसने अपने लंच टिफिन का एक डब्बा पड़ा था तो उसने वो उठाया और उसमे दुध, चाय, चीनी, इलाइची वगैरा डाल कर मुझे एक कप चाय बनाकर दी । मेरे बहुत मना करने पर भी उसने बना दी, एक चुस्की उसने पी बाकि सारी मैने पी।

सच में उस एक कप चाय में जो स्वाद और उसका स्नेह भाव था , शायद वो ताज होटल में भी ना मिले।

और अब जब भी लंच बॉक्स या चाय पीता हूं तो उस एक कप चाय और वो याद आ ही जाती हैं।

उस दिन मै उसके रूम पर लगभग दोपहर 12 बजे तक रुका और फिर मेरे रूम पर आ गया।

लेकिन मन सवाल चल रहे थे कि जब पास में थे तब कभी हिम्मत नही हुई उसके रूम पर जाने कि और आज अचानक ऐसे मिलना होगा। घंटो बातें होगी, उसके पास बैठना होगा बहुत सारे.....

जब मैं उसके रूम से बाहर आ रहा था , तब वो गेट खोलने आई तो मन करा गले लगा लूं उसको , पर हिम्मत नहीं हुई और ना में उसको कह पाया.....


एक कप चाय के बहाने से मेरे लिए एक यादगार पल बन गया। जब भी चाय को देखूंगा या वो इस पल को याद करेगी तो सच में चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान जरूर आएगी।जैसे आपके चेहरे पर आ रही है इस कहानी को पढ़ते हुए....

आज भी हम अच्छे दोस्त है ,आज भी एक दूसरे से बहुत मज़ाक करते है ।


 मगर कहते हैं ना जो पल गुजर गया वो कभी वापिस नहीं आता, आता है तो बस वो पल यादों में आता है....


अगर वो मेरी ये कहानी पढ़ रही है तो एक बात बोलना चाहूंगा.....

ओय मिस... एक कप चाय और मिलेगी ?

और उम्मीद करता हूं उसका जवाब होगा...

ओय कानकजूरे... क्यों नहीं जरूर ।



दोस्तों उम्मीद करता हूं आपको ये कहानी बहुत अच्छी लगी होगी और आपको भी ऐसा कोई यादगार और स्पैशल पल याद आया होगा , और आप भी सोच रहे होंगे काश वो पल एक बार दोबारा आ जाए।

अपने चाहने वालों के साथ जरूर शेयर करें। ❤️



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